Anath Beti ki Shadi
Anath Beti ki Shadi
कुछ ही दिनों में करुणा की शादी होने वाली थी। उसके ताउ जी अन्य रिश्तेदारों के साथ मिल कर शादी का इंतजाम कर रहे थे।
करुणा को जैसे इस सब से कोई मतलब नहीं था। वह बैठ कर अपनी मां को याद कर बस रोती रहती थी।
शादी से दो दिन पहले शोभा भी आ गई। शोभा को देख कर करुणा की कुछ आस बंधी। यहां तो सब उसे पराये ही नजर आ रहे थे। इसी कारण शोभा को करुणा की ताई जी पसंद नहीं करती थीं। लेकिन बड़े घर की बेटी थी, इसलिये कुछ बोल नहीं पाती थीं।
शोभा ने आकर शादी की सभी तैयारियों का जयजा लिया। जहां भी उसे कमी नजर आई उसने अपने हिसाब से सब ठीक कराया। शोभा शहर से रुपये और जेवर लेकर आई थी। उसने जेवर करुणा को दिये तो करुणा बोल पड़ी -‘‘बहन इसकी क्या जरूरत थी। तू आ गई बस मेरी शादी के लिये यही काफी है।’’
शोभा ने उसे समझाते हुए कहा – ‘‘देख मैं तो कुछ भी कर रही हूं तेरी भलाई के लिये कर रही हूं। ये पैसे और जेवर तू अपने पास रख ले। किसी को बताना मत। जीवन में कहीं भी फस जाये तो ये रुपये और जेवर तेरे काम आयेंगे और हां मेरा फोन नम्बर हमेशा संभाल कर रखना। वैसे मैं तेरे ससुराल भी आउंगी। कभी तूझे मेरी जरूरत पड़े तो फोन जरूर करना।’’
यह सब सुनकर करुणा की आंखों से आंसू बह रहे थे वो बोली – ‘‘बहन तू मेरे बचपन की सहेली है फिर भी तूने एक बहन से बढ़ कर मेरे लिये किया है। यहां जितने लोग हैं वे किसी न किसी कारण से मेरे साथ लगे हैं। कोई मकान हड़पना चाहता है। कोई मुझ से अपना पीछा छुड़वाना चाहता है। मैं तेरा ये उपकार कैसे चुकाउंगी।’’
शोभा ने उसे डाटते हुए कहा – ‘‘खबरदार तो बेकार की बातें की। तू मेरी छोटी बहन है। अब इतना मत सोच और अपने आने वाले कल को सजाने के सपने देखना शुरू कर दे।’’
यह सुनकर करुणा और शोभा दोंनो हसने लगीं।
समय जैसे पंख लगा कर उड़ रहा था। शादी वाले दिन दोपहर को करुणा के ताउ जी करूणा के पास आये और बोले – ‘‘बेटी तेरी शादी का खर्च चुकाने के लिये मैं सोच रहा था तेरे जाने के बाद इस मकान को किराय पर चढ़ा दूं। इससे कर्ज चुक जायेगा।’’
तभी पीछे खड़ी शोभा बोली – ‘‘ताउजी ऐसा कौन सा बड़ा कर्ज हो गया इस शादी में न हम दावत कर रहे हैं न ज्यादा बारात आ रही है। केवल पांच लोग आ रहे हैं। उनका मान सम्मान करना है और वो तो एक जोड़े में ब्याह कर ले जा रहे हैं। मुझे याद है जब बात हुई थी तो दान दहेज के लिये तो पहले ही हमने मना कर दिया था।’’
शोभा की बात सुनकर ताउजी ने गुस्से में देखा – ‘‘तुम बच्चे कुछ जानते हो नहीं और बकवास करनी शुरू कर देते हो। ऐसा ही है तो शाम को बारात खुद संभाल लेना।’’
करुणा ने शोभा को चुप कराते हुए कहा – ‘‘ठीक है ताउजी आपको जो ठीक लगे वही सही है वैसे भी मैं तो जा रही हूं। कम से कम इस बहाने घर की साफ सफाई होती रहेगी।’’
यह सुनकर ताउजी ने घूर कर शोभा की ओर देखा फिर करुणा के सर पर हाथ फेर कर वापस चले गये।
‘‘करुणा ये तेरा मकान हड़पने की साजिश है।’’ शोभा ने कहा। करुणा ने उसे हाथ पकड़ कर अपने पास बैठाया और बोली -‘‘जाने दे शोभा क्या कर सकते हैं। इन लोगों से बहस करके कोई फायदा नहीं है। वैसे भी किराय पर दे रहे हैं।’’
शोभा चुप रह गई शाम को बारात आई सादा तरीके से शादी हो गई सुबह जब विदाई का समय आया तो करुणा फूट फूट कर रोने लगी – ‘‘शोभा ऐसा लग रहा है जैसे मेरा सब कुछ छूटा जा रहा है।’’ शोभा ने उसे संभालते हुए कहा – ‘‘करुणा जीवन में आगे बढ़ना पड़ता है। एक घर छूट रहा है तो दूसरा घर मिल भी तो रहा है। चिन्ता मत कर।’’
शोभा, करुणा को आस बंधा रही थी लेकिन उसके मन में भी कई विचार आ रहे थे, कैसे नये घर में रहेगी। उसे वहां कोई कष्ट होगा तो कोई पूछने वाला ही नहीं है। कुछ देर बाद करुणा की विदाई हो गई। करुणा को विदा करके भारी मन से शोभा भी वापस अपने घर आ गई।
शोभा की मां ने पूछा – ‘‘बेटी सब ठीक से निबट गया न।’’ शोभा ने कहा – ‘‘हां मां सब ठीक था। बस करुणा बहुत रो रही थी।’’ यह सुनकर शोभा की मां ने कहा – ‘‘हां बेटा बेचारी अनाथ है। उसे तो कोई बुलाने वाला ही नहीं है ये समझो उसका मायका तो खत्म ही हो गया।’’
शोभा भारी मन से शहर की ओर रवाना हो गई। घर पहुंच कर करन को उसने सारी बात बताई। सब सुनकर करन ने कहा – ‘‘ठीक है शोभा जब भी फुर्सत हो उससे मिल आना और रही बात बुलाने की तो किसी त्यौहार पर तुम उसे बुला लेना कभी उसके साथ त्यौहार मनाने चलेंगे।’’ शोभा को यह सुनकर बहुत खुशी हुई कि उसके पति का दिल उससे भी बड़ा है।
इधर करुणा जब अपने ससुराल पहुंची तो देखा एक टूटा सा मकान है गांव में घर के आंगन में कुछ औरते बैठी थीं। कुछ औरतें उसे आगे ले जा रहीं थीं तभी उसने देखा कि पास ही एक खाट पर एक आदमी बेहोश सा पड़ा था। करुणा उसे देख कर डर गई। तभी उसकी सास ने कहा – ‘‘अरे डर मत ये तेरा देवर है कल शादी की खुशी में ज्यादा पी गया है। तू अंदर चल।’’
करुणा अंन्दर एक कमरे में जाकर बैठ गई। मिट्टी से लीपा गया फर्श जिस पर एक चटाई बिछी थी। करुणा को वहां बैठाया गया। घर में काफी चहल पहल थी। कुछ देर बाद करुणा से पूजा करवाई गई। करुणा की सास करुणा से सारे रीति रिवाज करवा रही थीं।
सभी कामों से निबट कर एक औरत ने करुणा से कहा – ‘‘बहु थोड़ा आराम कर लो, बहुत थक गई होंगी।’’ वह एक तकिया दे गई जाते समय दरवाजा बंद कर गई करुणा तकिये को सिरहाने लगा कर लेट गई। थकान के कारण उसका शरीर टूट रहा था। कुछ ही देर में उसे नींद आ गई।
शेष आगे …
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